इसे लिखने वाले ऋषि वाल्मीकि पहले रत्नाकर नाम के डाकू हुआ करते थे , किन्तु देव-ऋषि नारद की प्रेरणा से उनका ह्रदय परिवर्तन हुआ और वे एक महान ऋषि बने |
गंगा स्नान के लिए जाते समय उन्हें तमसा नदी का स्वच्छ पानी देख कर स्नान करने का मन हुआ | वे स्नान कर ही रहे थे जब उन्हें क्रोंच पक्षी का एक जोड़ा प्रेम-मग्न दिखाई पड़ा, जिसे देख कर उन्हें बड़ी प्रसन्नता हुई | तभी एक तीर उनमें से नर पक्षी को आ लगा और उसके वियोग में मादा पक्षी विरह वेदना में तड़पने लगी | एक बहेलिये को पास आता देख ऋषि वाल्मीकि समझ गए की यह इसी मनुष्य का कृत्य है | क्रोध व् दुःख के वशीभूत होकर उनके मुख से उस निषाद के लिए श्राप के रूप में ये संस्कृत श्लोक निकला |
मां निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः । यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधीः काममोहितम् ॥
अर्थात्: हे निषाद ! तुमने प्रेम मे मग्न क्रौंच पक्षी को मारा है। जा तुझे कभी भी प्रतिष्ठा की प्राप्ति नहीं हो पायेगी और तुझे भी वियोग झेलना पड़ेगा।
कुछ समय पश्चात जब ऋषि वाल्मीकि ने रामायण ग्रन्थ की रचना करी तो इसी श्लोक को उस महाकाव्य का प्रथम श्लोक बनाया | एक ऐसा काव्य जो हमें जीवन जीने का एक आदर्श मार्ग दिखाता है, उसका प्रथम श्लोक ही दुःख एवं क्रोध से उत्पन्न हुआ था |
हमारा दुःख एवं क्रोध ही हमें स्वयं को पहचानने का सही अवसर देता है | इस घटना के पश्चात ऋषि वाल्मीकि ने काफी विचार किया कि उनके मन में इतना क्रोध व् दुःख क्यों उत्पन्न हुआ, और उनके द्वारा दिया गया श्राप अनायास ही श्लोक के रूप में क्यों निकला | कहा जाता है की इसके पश्चात भ्रह्मा ने उन्हें दर्शन दिए और नारद द्वारा वर्णित राम के चरित्र के बारे में उन्हें याद दिलाया | इससे ऋषि वाल्मीकि समझ गए की नियति उन्हें भगवान् राम की कथा काव्य रूप में लिखने की प्रेरणा दे रही है |
वियोग की भावना जिसे क्रोंच(सारस पक्षी) के जोड़े को सहना पड़ा, वही भावना समस्त रामायण का आधार रही |
- राजा दशरथ के तीर से श्रवण कुमार का दुर्घटनावश वध होना, व् वियोग संतप्त माता -पिता का दशरथ को श्राप देना |
- राम के वनवास के लिए प्रस्थान के उपरान्त दशरथ का प्राण त्यागना भी वियोग ही था |
- भाई का भाई से वियोग (भारत व् राम) भी रामायण में बहुत अच्छे से वर्णित है |
- माता का पुत्र से वियोग (कौशल्या व् राम)
- पति व् पत्नी (लक्ष्मण व् उर्मिला) का 14 वर्षों का वियोग
- सुग्रीव का अपनी पत्नी रुमा से वियोग
- पुत्र वियोग , जब मंदोदरी अपने समस्त पुत्रों को खो देती है |
- राम व् सीता का वियोग, जो रामायण का मुख्य बिंदु था, जिसके कारण रावण का वध हुआ|
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