हमने हिन्दू धर्म की पौराणिक गाथाओं में ऋषि-मुनिओं की तपस्या के बारे में बहुत कुछ पढ़ा व सुना है | कुछ टीवी धारावाहिकों में भी ये चीज़ दिखाई गयी है की ऋषि-मुनि सालों तक बिना कुछ खाए पिए तपस्या में लीन रहते थे | आज के समय में ये सब असंभव प्रतीत होता है | कुछ लोग इसे सिर्फ कल्पना मानते हैं , या कवियों द्वारा किया गया अतिशोक्ति अलंकार का प्रयोग भर मानते हैं | लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कुछ मामले सामने आये हैं जिन्होंने हमें अपना द्रष्टिकोण बदलने पर बाध्य किया है | भारत के प्रह्लाद जनि और नेपाल के राम बहादुर बामजान ऐसे ही कुछ योगिओं में से हैं जिन्होंने अपनी योग शक्ति के बल पर ये चमत्कार कर दुनिया को स्तब्ध कर दिया है | कुछ लोग इसे शक की नज़र से देख रहे हैं , तो कुछ भक्ति और श्रधा की नज़र से |
शक करना भी जायज़ है, क्योंकि हमारे मेडिकल विज्ञानं के अनुसार तो कोई व्यक्ति बिना पानी के 7 दिन से ज्यादा जीवित नहीं रह सकता | लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है जो इन बातों पे पूरा विश्वास करते है और मानते है की योग साधना के बल पे कुछ भी संभव है |
व्रत करना और अनशन पे बैठना अलग बात है , पर एक वर्ग ऐसा भी है जो बिना कुछ खाए पिए जीवित रहने को ही अपने जीवन का लक्ष्य मानता है | Inedia (एक लैटिन शब्द , जिसका अर्थ उपवास है ) या Breatharianism एक ऐसी विचारधारा है , जिसके अनुसार हमारा शरीर बिना खाए-पिए सिर्फ प्राण उर्जा से जीवित रह सकता है | सूर्य की उर्जा इस प्राण उर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है |
प्रह्लाद जनि, जिनको लोग "माताजी" कहकर भी बुलाते हैं, 70 से ज्यादा वर्षों से बिना कुछ खाए-पिए जीवित
रहने का दावा करते हैं | इनका जन्म 13 अगस्त 1929 को मेहसाना जिले के चरादा गाँव में हुआ था | सात वर्ष की आयु में वो घर छोड़ कर जंगल में चले गए थे, 11 वर्ष के आयु में उन्हें कुछ आत्मिक अनुभव हुआ और तब से उन्होंने कुछ भी न खाया न पिया | उनका मानना है की उनके ऊपर देवी अम्बा की कृपा है और उनके तालुए में एक छेद है जिससे उन्हें कुछ द्रव्य मिलता रहता है , और वो एक स्वस्थ्य जीवन जी पाते हैं | वो 1970 सेगुजरात में अम्बा देवी के मंदिर के निकट एक गुफा में रह रहे हैं | वो रोज़ सुबह 4 बजे उठते है और अपना ज्यादातर समय ध्यान ही करते हैं | जब उनकी प्रसिधी फैली तो DRDO के कुछ डॉक्टर्स ने 2003 में उन्हें सात दिन तक स्टर्लिंग हॉस्पिटल में रख कर बिना कुछ खाना या पानी दिए उनकी वैज्ञानिक जांच करी | प्रह्लाद जनि की बात सही साबित हुई | 2010 में एक बार फिर से उन्हें 15 दिन तक उसी अस्पताल में फिर से रखा गया | इस बार भी निष्कर्ष वही रहा | उनकी मेडिकल रिपोर्ट्स के अनुसार वो अपने से आधी उम्र के व्यक्ति से भी ज्यादा स्वस्थ्य हैं | कुछ लोग इन वैज्ञानिक जाचों के ऊपर भी सवाल उठाते हैं | प्रह्लाद जनि के इस खासियत को डिस्कवरी चैनल ने भी अपने एक कार्यक्रम में दिखाया था |
प्रह्लाद जनि के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए विकिपीडिया के इस पेज पर पढ़ें:
http://en.wikipedia.org/wiki/Prahlad_Jani
राम बहादुर बामजान, नेपाल के बारा जिले के रत्नापुरी गाँव में 9 अप्रैल 1990 में पैदा हुआ | सन 2005 से 2007 के बीच इस युवक ने अपनी ध्यान पद्दति से सारी दुनिया को आकर्षित किया. एक वृक्ष के नीचे एक ही ध्यान मुद्रा में कई-कई दिनों तक लगातार बिना कुछ खाए-पिए बैठ कर इसने सबको आश्चर्यचकित कर दिया . डिस्कवरी चैनल ने इस के ऊपर भी एक रिसर्च प्रोग्राम प्रसारित किया था था जिसमें इसे लगातार 48 घंटो तक ३ मीटर की दूरी से विडियो कैमरों के मदद से जांचा गया |
राम बहादुर बामजान के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए विकिपीडिया के इस पेज पर पढ़ें:
http://en.wikipedia.org/wiki/Ram_Bahadur_Bomjon
जब भी ऐसा कोई किस्सा सामने आता है धर्म और विज्ञान में एक लड़ाई सी शुरू हो जाती है. विज्ञान हर चीज़ को शक की नज़र से देखता है और धार्मिक लोग भक्ति भाव से | कुछ लोग कहते हैं की ये योग है और सदियों से ऋषि मुनि ये करते आये हैं , कुछ इसे पाखंड बताते हैं | कुछ भक्त खुद ऐसा बनने के चक्कर में अस्पताल पहुँच जाते हैं |
इंसान के शरीर के ऊपर दुनिया भर में न जाने कितनी ही रिसर्च चल रही हैं | हमारा शरीर खुद ही एक ज्ञान का भंडार है, ज़रूरत है इसे जानने की | कुछ लोग इसे धर्म या योग से जानना चाहते हैं, तो कुछ विज्ञान से | हमें ज़रुरत है की खुले दिमाग से इस चीज़ को समझने की कोशिश करें |
शक करना भी जायज़ है, क्योंकि हमारे मेडिकल विज्ञानं के अनुसार तो कोई व्यक्ति बिना पानी के 7 दिन से ज्यादा जीवित नहीं रह सकता | लेकिन एक वर्ग ऐसा भी है जो इन बातों पे पूरा विश्वास करते है और मानते है की योग साधना के बल पे कुछ भी संभव है |
व्रत करना और अनशन पे बैठना अलग बात है , पर एक वर्ग ऐसा भी है जो बिना कुछ खाए पिए जीवित रहने को ही अपने जीवन का लक्ष्य मानता है | Inedia (एक लैटिन शब्द , जिसका अर्थ उपवास है ) या Breatharianism एक ऐसी विचारधारा है , जिसके अनुसार हमारा शरीर बिना खाए-पिए सिर्फ प्राण उर्जा से जीवित रह सकता है | सूर्य की उर्जा इस प्राण उर्जा का सबसे बड़ा स्रोत है |
प्रह्लाद जनि, जिनको लोग "माताजी" कहकर भी बुलाते हैं, 70 से ज्यादा वर्षों से बिना कुछ खाए-पिए जीवित
रहने का दावा करते हैं | इनका जन्म 13 अगस्त 1929 को मेहसाना जिले के चरादा गाँव में हुआ था | सात वर्ष की आयु में वो घर छोड़ कर जंगल में चले गए थे, 11 वर्ष के आयु में उन्हें कुछ आत्मिक अनुभव हुआ और तब से उन्होंने कुछ भी न खाया न पिया | उनका मानना है की उनके ऊपर देवी अम्बा की कृपा है और उनके तालुए में एक छेद है जिससे उन्हें कुछ द्रव्य मिलता रहता है , और वो एक स्वस्थ्य जीवन जी पाते हैं | वो 1970 सेगुजरात में अम्बा देवी के मंदिर के निकट एक गुफा में रह रहे हैं | वो रोज़ सुबह 4 बजे उठते है और अपना ज्यादातर समय ध्यान ही करते हैं | जब उनकी प्रसिधी फैली तो DRDO के कुछ डॉक्टर्स ने 2003 में उन्हें सात दिन तक स्टर्लिंग हॉस्पिटल में रख कर बिना कुछ खाना या पानी दिए उनकी वैज्ञानिक जांच करी | प्रह्लाद जनि की बात सही साबित हुई | 2010 में एक बार फिर से उन्हें 15 दिन तक उसी अस्पताल में फिर से रखा गया | इस बार भी निष्कर्ष वही रहा | उनकी मेडिकल रिपोर्ट्स के अनुसार वो अपने से आधी उम्र के व्यक्ति से भी ज्यादा स्वस्थ्य हैं | कुछ लोग इन वैज्ञानिक जाचों के ऊपर भी सवाल उठाते हैं | प्रह्लाद जनि के इस खासियत को डिस्कवरी चैनल ने भी अपने एक कार्यक्रम में दिखाया था |
प्रह्लाद जनि के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए विकिपीडिया के इस पेज पर पढ़ें:
http://en.wikipedia.org/wiki/Prahlad_Jani
राम बहादुर बामजान, नेपाल के बारा जिले के रत्नापुरी गाँव में 9 अप्रैल 1990 में पैदा हुआ | सन 2005 से 2007 के बीच इस युवक ने अपनी ध्यान पद्दति से सारी दुनिया को आकर्षित किया. एक वृक्ष के नीचे एक ही ध्यान मुद्रा में कई-कई दिनों तक लगातार बिना कुछ खाए-पिए बैठ कर इसने सबको आश्चर्यचकित कर दिया . डिस्कवरी चैनल ने इस के ऊपर भी एक रिसर्च प्रोग्राम प्रसारित किया था था जिसमें इसे लगातार 48 घंटो तक ३ मीटर की दूरी से विडियो कैमरों के मदद से जांचा गया |
राम बहादुर बामजान के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए विकिपीडिया के इस पेज पर पढ़ें:
http://en.wikipedia.org/wiki/Ram_Bahadur_Bomjon
जब भी ऐसा कोई किस्सा सामने आता है धर्म और विज्ञान में एक लड़ाई सी शुरू हो जाती है. विज्ञान हर चीज़ को शक की नज़र से देखता है और धार्मिक लोग भक्ति भाव से | कुछ लोग कहते हैं की ये योग है और सदियों से ऋषि मुनि ये करते आये हैं , कुछ इसे पाखंड बताते हैं | कुछ भक्त खुद ऐसा बनने के चक्कर में अस्पताल पहुँच जाते हैं |
इंसान के शरीर के ऊपर दुनिया भर में न जाने कितनी ही रिसर्च चल रही हैं | हमारा शरीर खुद ही एक ज्ञान का भंडार है, ज़रूरत है इसे जानने की | कुछ लोग इसे धर्म या योग से जानना चाहते हैं, तो कुछ विज्ञान से | हमें ज़रुरत है की खुले दिमाग से इस चीज़ को समझने की कोशिश करें |
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