जब से कोरोना वायरस ने विश्व को घेरा है, तब से भारत भर में "गौ मूत्र" पर चर्चाएं चल रही है | कोई इसे आयुर्वैदिक औषधि बताता है, तो कोई अंधविश्वास | कोई इसके वैज्ञानिक आधार पर खरे न उतरने का तर्क देता है , तो कोई इस पर लिए गए पेटेंट्स की बात करता है | कोई इसे अमृत समझ कर पीने को तैयार है, तो कोई इसे अत्यंत घ्रणित वस्तु बता रहा है | वास्तविकता यह है की कोई भी सत्य जानने से ज्यादा , केवल अपने मत को सही सिद्ध करने में ज्यादा उत्सुक है |
कुछ लोग धर्मांध होकर किसी भी गौ का मूत्र पीने को तैयार हैं , तो कोई तब तक पीने को तैयार नहीं है जब तक कोई अंग्रेज़ प्रोफेसर अंग्रेजी में उसे सही न बताये | जितना खतरा हमें चंद धर्मांध हिन्दुओं से है, उतना ही उन मतांध पढ़े लिखे लोगों से भी है जिन्हें अंग्रेजी में लिपटा हुआ असत्य भी सत्य लगता है | एक विष भी अमृत का काम कर सकता है यदि उसे सही मात्रा और सही विधि से लिया जाए, और एक औषधि भी विष का काम कर सकती है यदि उसे सही मात्रा और विधि से ना लिया जाए |
हमारे पढ़े लिखे समाज को यह समझना चाहिए की आयुर्वेद भी एक विज्ञान है जो सदियों के शोध से विकसित हुआ है , उसे आज की मेडिकल साइंस (जो केवल चंद सौ साल पुरानी है ) से तुलना करना सही नहीं | मेडिकल साइंस से आयुर्वैदिक उपचारों को प्रमाणित कराना अनुचित है | हल्दी और नीम के जिन एंटीबायोटिक गुणों को मेडिकल साइंस ने आज पहचाना है, वह आयुर्वेद में सदियों पहले बताया जा चुका है | आयुर्वेद प्रकृति से जुड़ा हुआ विज्ञान है, जहाँ दवाइयां प्राकृतिक रूप से उपलब्ध वस्तुओं से बनती हैं, वो भी बिना किसी जीव को परेशान करे | इसके विपरीत मेडिकल साइंस वाली आधुनिक दवाइयां रसायनों से और बेजुबान जानवरों पर प्रयोग कर के बनती हैं | आधुनिक दवाइयों के कुछ तात्कालिक लाभ अवश्य हैं, किन्तु कुछ दुष्प्रभाव (side-effects) भी हैं | आयुर्वैदिक औषधियों में ऐसे दुष्प्रभाव अत्यंत कम होते हैं |
उन धर्मांध लोगों को भी यह समझना चाहिए की आप अपने धर्म पे गर्व करने के चक्कर में घमंड न करने लगें , क्योंकि घमंड ही उस अज्ञानता की जड़ है जिसके वशीभूत होकर वो बातें भी बढ़ा चढ़ा कर कह दी जाती हैं , जो आपके ग्रंथों में भी नहीं कही गयी | गौ मूत्र का सीधा सेवन भी ऐसी ही बातों में एक है | गौ मूत्र का उपयोग आयुर्वेदिक औषधियों में अवश्य होता है, किन्तु उसकी कुछ विधियाँ होती हैं | उसे सीधा ग्लास में डाल कर पीना नहीं होता | इस प्रकार के कृत्य केवल आपके अज्ञानता के सूचक हैं, जिससे केवल आयुर्वेद का उपहास होता है |
हर किसी गाय का मूत्र औषधियों में प्रयोग नहीं किया जाता | घर में पाली गई ऐसी गाय जो मुख्यतः घास खाती हो, रोज़ नहलाई जाती हो, व् घर के सदस्य के समान प्रेमपूर्वक पाली जाती हो, ऐसी गाय के मूत्र को सर्वोत्तम बताया गया है | यदि गाय दुधारू हो और उस से उत्पन्न दूध, दही व् घी भी घर में उपलब्ध हो तो उन के प्रयोग से अत्यंत कारगर औषधि तैयार होती हैं |
वे गाय जिन्हें केवल दूध के लिए एक जानवर के तौर पर प्रयोग किया जाता है, कुछ भी खिला दिया जाता है और दुधारू बनाने के लिए होरमोंस के टीके लगाये जाते हैं, उन गायों के मूत्र में औषधिय गुण कम या नहीं के समान हो जाते हैं |
ऐसे में दो बातें गौर करने वाली हैं | पहली, जो गाय आपके घर में होती है , वो आपके ही समान जीवाणुओं व् विषाणुओं से प्रभावित होती हैं, व् उसी के अनुसार उनके शरीर में उस जीवाणुओं से लड़ने के लिए एंटी-बॉडीज बनती हैं जिससे वह बीमारी ठीक होती है | इसलिए आपकी पालतू गाय का मूत्र आपके लिए सर्वोत्तम है |
दूसरी बात उन लोगों के लिए जो गौ मूत्र के औषधिय गुण पर विश्वास नहीं करते | आधुनिक मेडिकल विज्ञान में "प्लेसिबो"(placebo) नाम की एक दवाई होती है , जो वास्तव में कोई दवाई नहीं होती, लेकिन बहुत सारी बीमारियों में कारगर होती है | यदि मरीज़ को विश्वास हो की वह इस दवाई से ठीक हो जाएगा , तो प्लेसिबो ज्यादा कारगर होती है | यहाँ सारा खेल आपके विश्वास का है | साथ ही दवाई जितनी कडवी हो, उस पर विश्वास उतना ही बढ़ जाता है |
नोट : इस लेख में गौ मूत्र से कोई दवाई बनाने की विधि नहीं बताई गई है | अत: अपने आप कोई प्रयाग न करें | यदि आप ऐसी औषधियों में रुचि रखते हैं, तो किसी बढ़िया आयुर्वेदाचार्य से संपर्क करें |
क्या सभी व्यक्तियों को गौ मूत्र का सेवन करना चाहिए ?
नहीं ! गौ मूत्र केवल औषधि नहीं बल्कि कुछ लोगों की आस्था का विषय भी है | जिनकी इस पर आस्था हो व् औषधिय गुण पर विश्वास हो केवल उन्हें ही इसका सेवन करना चाहिए | बेमन से ली गई दवाई भी अपना पूरा असर नहीं दिखाती | किसी ऐसे व्यक्ति को जिसे इससे घृणा आती हो, इसे पीने के लिए बाध्य करना उचित नहीं है | लेकिन इसके विपरीत गौ मूत्र का विरोध करना भी उचित नहीं | जिसे यह सही नहीं लगता , वह न पिए | लेकिन बिना उसके बारे में जाने, उसे पीने वालों को धर्मांध या अज्ञानी समझना ठीक नहीं |
ऐसा नहीं है की गौ मूत्र के औषधि के रूप में उपयोग के लिए कोई आधुनिक शोध नहीं हो रहा | हो रहे हैं लेकिन केवल वह लोग कर रहे हैं , जिन्हें उस पर विश्वास है | गौ मूत्र का उपयोग केवल एक धार्मिक विश्वास बन कर रह गया है, और उस में भी कुछ लोग ऐसे हैं जो इसे अंधविश्वास मानते हैं | अंधे बन कर किसी भी मत पर विश्वास करने से अच्छा है की google पर ही कुछ शोध कर लें | सत्य का कुछ तो अंश आप तक अवश्य पहुंचेगा | यदि आप नीचे दिए गए लिंक पर जा कर पढ़ें तो आपको पता चलेगा की गौ मूत्र का उपयोग केवल एंटीबायोटिक ही नहीं बल्कि एंटीसेप्टिक, एंटी-कैंसर , एंटी फंगल और रोग प्रतिरोधक दवाई के रूप में भी किया जा रहा है |
Reference:
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3117312/
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4566776/
https://www.researchgate.net/publication/286375487_Diversified_uses_of_cow_urine
https://www.researchgate.net/publication/320392731_GOMUTRA_COW_URINE_A_MULTIDIMENSIONAL_DRUG_REVIEW_ARTICLE
http://www.ijpsi.org/Papers/Vol2(3)/Version-1/B230508.pdf
कुछ लोग धर्मांध होकर किसी भी गौ का मूत्र पीने को तैयार हैं , तो कोई तब तक पीने को तैयार नहीं है जब तक कोई अंग्रेज़ प्रोफेसर अंग्रेजी में उसे सही न बताये | जितना खतरा हमें चंद धर्मांध हिन्दुओं से है, उतना ही उन मतांध पढ़े लिखे लोगों से भी है जिन्हें अंग्रेजी में लिपटा हुआ असत्य भी सत्य लगता है | एक विष भी अमृत का काम कर सकता है यदि उसे सही मात्रा और सही विधि से लिया जाए, और एक औषधि भी विष का काम कर सकती है यदि उसे सही मात्रा और विधि से ना लिया जाए |
हमारे पढ़े लिखे समाज को यह समझना चाहिए की आयुर्वेद भी एक विज्ञान है जो सदियों के शोध से विकसित हुआ है , उसे आज की मेडिकल साइंस (जो केवल चंद सौ साल पुरानी है ) से तुलना करना सही नहीं | मेडिकल साइंस से आयुर्वैदिक उपचारों को प्रमाणित कराना अनुचित है | हल्दी और नीम के जिन एंटीबायोटिक गुणों को मेडिकल साइंस ने आज पहचाना है, वह आयुर्वेद में सदियों पहले बताया जा चुका है | आयुर्वेद प्रकृति से जुड़ा हुआ विज्ञान है, जहाँ दवाइयां प्राकृतिक रूप से उपलब्ध वस्तुओं से बनती हैं, वो भी बिना किसी जीव को परेशान करे | इसके विपरीत मेडिकल साइंस वाली आधुनिक दवाइयां रसायनों से और बेजुबान जानवरों पर प्रयोग कर के बनती हैं | आधुनिक दवाइयों के कुछ तात्कालिक लाभ अवश्य हैं, किन्तु कुछ दुष्प्रभाव (side-effects) भी हैं | आयुर्वैदिक औषधियों में ऐसे दुष्प्रभाव अत्यंत कम होते हैं |
उन धर्मांध लोगों को भी यह समझना चाहिए की आप अपने धर्म पे गर्व करने के चक्कर में घमंड न करने लगें , क्योंकि घमंड ही उस अज्ञानता की जड़ है जिसके वशीभूत होकर वो बातें भी बढ़ा चढ़ा कर कह दी जाती हैं , जो आपके ग्रंथों में भी नहीं कही गयी | गौ मूत्र का सीधा सेवन भी ऐसी ही बातों में एक है | गौ मूत्र का उपयोग आयुर्वेदिक औषधियों में अवश्य होता है, किन्तु उसकी कुछ विधियाँ होती हैं | उसे सीधा ग्लास में डाल कर पीना नहीं होता | इस प्रकार के कृत्य केवल आपके अज्ञानता के सूचक हैं, जिससे केवल आयुर्वेद का उपहास होता है |
गौ मूत्र का औषधि के रूप में प्रयोग
सबसे पहले यह जानना आवश्यक है कि गौ मूत्र का सीधा सेवन किसी बीमारी को ठीक करने के लिए नहीं किया जाता | सीधा सेवन केवल आत्मिक शुद्धि के लिए होता है, वह भी बहुत थोड़ी मात्र में | अधिकतर गौ मूत्र आधारित औषधियों में गौ मूत्र का बहुत थोडा सा अंश प्रयोग होता है| अन्य पदार्थ जैसे गाय का दूध, दही, घी इत्यादि भी ऐसी औषधियों में मिलाये जाते हैं |हर किसी गाय का मूत्र औषधियों में प्रयोग नहीं किया जाता | घर में पाली गई ऐसी गाय जो मुख्यतः घास खाती हो, रोज़ नहलाई जाती हो, व् घर के सदस्य के समान प्रेमपूर्वक पाली जाती हो, ऐसी गाय के मूत्र को सर्वोत्तम बताया गया है | यदि गाय दुधारू हो और उस से उत्पन्न दूध, दही व् घी भी घर में उपलब्ध हो तो उन के प्रयोग से अत्यंत कारगर औषधि तैयार होती हैं |
वे गाय जिन्हें केवल दूध के लिए एक जानवर के तौर पर प्रयोग किया जाता है, कुछ भी खिला दिया जाता है और दुधारू बनाने के लिए होरमोंस के टीके लगाये जाते हैं, उन गायों के मूत्र में औषधिय गुण कम या नहीं के समान हो जाते हैं |
क्या गौ मूत्र से कोरोना वायरस जैसी बीमारी ठीक हो सकती है ?
इस बारे स्पष्ट रूप से कुछ भी कहा नहीं जा सकता | हालांकि गौ मूत्र को रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाला बताया गया है , किन्तु कोरोना वायरस एक नए प्रकार का वायरस है, अत: इसके बारे में कुछ कहना शीघ्रता होगी |ऐसे में दो बातें गौर करने वाली हैं | पहली, जो गाय आपके घर में होती है , वो आपके ही समान जीवाणुओं व् विषाणुओं से प्रभावित होती हैं, व् उसी के अनुसार उनके शरीर में उस जीवाणुओं से लड़ने के लिए एंटी-बॉडीज बनती हैं जिससे वह बीमारी ठीक होती है | इसलिए आपकी पालतू गाय का मूत्र आपके लिए सर्वोत्तम है |
दूसरी बात उन लोगों के लिए जो गौ मूत्र के औषधिय गुण पर विश्वास नहीं करते | आधुनिक मेडिकल विज्ञान में "प्लेसिबो"(placebo) नाम की एक दवाई होती है , जो वास्तव में कोई दवाई नहीं होती, लेकिन बहुत सारी बीमारियों में कारगर होती है | यदि मरीज़ को विश्वास हो की वह इस दवाई से ठीक हो जाएगा , तो प्लेसिबो ज्यादा कारगर होती है | यहाँ सारा खेल आपके विश्वास का है | साथ ही दवाई जितनी कडवी हो, उस पर विश्वास उतना ही बढ़ जाता है |
नोट : इस लेख में गौ मूत्र से कोई दवाई बनाने की विधि नहीं बताई गई है | अत: अपने आप कोई प्रयाग न करें | यदि आप ऐसी औषधियों में रुचि रखते हैं, तो किसी बढ़िया आयुर्वेदाचार्य से संपर्क करें |
क्या सभी व्यक्तियों को गौ मूत्र का सेवन करना चाहिए ?
नहीं ! गौ मूत्र केवल औषधि नहीं बल्कि कुछ लोगों की आस्था का विषय भी है | जिनकी इस पर आस्था हो व् औषधिय गुण पर विश्वास हो केवल उन्हें ही इसका सेवन करना चाहिए | बेमन से ली गई दवाई भी अपना पूरा असर नहीं दिखाती | किसी ऐसे व्यक्ति को जिसे इससे घृणा आती हो, इसे पीने के लिए बाध्य करना उचित नहीं है | लेकिन इसके विपरीत गौ मूत्र का विरोध करना भी उचित नहीं | जिसे यह सही नहीं लगता , वह न पिए | लेकिन बिना उसके बारे में जाने, उसे पीने वालों को धर्मांध या अज्ञानी समझना ठीक नहीं |
ऐसा नहीं है की गौ मूत्र के औषधि के रूप में उपयोग के लिए कोई आधुनिक शोध नहीं हो रहा | हो रहे हैं लेकिन केवल वह लोग कर रहे हैं , जिन्हें उस पर विश्वास है | गौ मूत्र का उपयोग केवल एक धार्मिक विश्वास बन कर रह गया है, और उस में भी कुछ लोग ऐसे हैं जो इसे अंधविश्वास मानते हैं | अंधे बन कर किसी भी मत पर विश्वास करने से अच्छा है की google पर ही कुछ शोध कर लें | सत्य का कुछ तो अंश आप तक अवश्य पहुंचेगा | यदि आप नीचे दिए गए लिंक पर जा कर पढ़ें तो आपको पता चलेगा की गौ मूत्र का उपयोग केवल एंटीबायोटिक ही नहीं बल्कि एंटीसेप्टिक, एंटी-कैंसर , एंटी फंगल और रोग प्रतिरोधक दवाई के रूप में भी किया जा रहा है |
Reference:
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3117312/
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4566776/
https://www.researchgate.net/publication/286375487_Diversified_uses_of_cow_urine
https://www.researchgate.net/publication/320392731_GOMUTRA_COW_URINE_A_MULTIDIMENSIONAL_DRUG_REVIEW_ARTICLE
http://www.ijpsi.org/Papers/Vol2(3)/Version-1/B230508.pdf
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